वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग, ४२वा अद्वैत बोध शिविर
३० मार्च, २०१८
कैंचीधाम, नैनीताल
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गुरु उबारे अहम डुबोए
एक शिष्य को गुरु पर इतना विश्वास था कि वो गुरु-गुरु कहते हुए विश्वास के तल पर नदी पार हो गया। यह देख कर गुरु ने क्या सच में मुझमें इतनी शक्ति है मुझे तो पता ही नहीं था। दूसरे दिन गुरु मैं, मैं कहते हुए नदी पार करने गए परन्तु पानी पर पैर रखते ही वो गिर पड़े और अपने को संभाल न पाए। (श्री रामकृष्ण वचनामृत)
प्रसंग:
गुरु उबारे अहम डुबोए का क्या अर्थ है?
इस कहानी का क्या मर्म है?
गुरु कौन है?
क्या गुरु का कोई नाम नहीं होता है?